|| त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ति दत्त || जप का महत्व || श्री गुरुदेव दत्त ||
गुरुवर्य भास्करगिरी महाराज यांच्या कडून देवगड महत्व व त्रैमूर्ति सार आत्मसात करताना मी व मोठे बंधु ....
" Acquired knowledge " Spiritual knowledge "
आदि में ब्रह्मा,मध्य में विष्णु तथा अन्त में सदाशिव है,उन भगवान दत्तात्रेय को बार-बार स्मरण,प्रणाम, ब्रह्मज्ञान,त्रिवार,अनंत ब्रम्हांडनायक वंदन...
|| त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ति दत्त || जप का महत्व || श्री गुरुदेव दत्त ||
गुरुवर्य भास्करगिरी महाराज यांच्या कडून देवगड महत्व व त्रैमूर्ति सार आत्मसात करताना मी व मोठे बंधु ....
" Acquired knowledge " Spiritual knowledge "
आदि में ब्रह्मा,मध्य में विष्णु तथा अन्त में सदाशिव है,उन भगवान दत्तात्रेय को बार-बार स्मरण,प्रणाम, ब्रह्मज्ञान,त्रिवार,अनंत ब्रम्हांडनायक वंदन...
|| त्रिगुणात्मक त्रैमूर्ति दत्त || जप का महत्व || श्री गुरुदेव दत्त ||
तीनों शक्तियों का एक साथ होना “गुरु शक्ति” है।
गुरु
किंवा मार्गदर्शकांना या तीन शक्तींचे ज्ञान असले पाहिजे.
दत्तात्रेय
की भीतर ये तीनों शक्तियां विद्यमान है।
इसका अर्थ ये हुआ कि वे गुरु शक्ति के प्रतीक है|
- मार्गदर्शक,
- सृजनात्मकता
- पालनकर्ता
- परिवर्तनकर्ता
सबसे
कुछ न कुछ ज्ञान अर्जित किया जा सकता है।
दत्तात्रेय
ने मानवता को यह संदेश दिया है, कि हमें जिससे भी किसी न किसी रूप में
कोई भी शिक्षा मिली, वे हमारे गुरु हुए। दूसरे शब्दों में कहें,
तो
हर किसी से कुछ न कुछ सीखा जा सकता है। विचार करा ?
इंजि.संजय सोनवणे
[ B.E Computer | B.com ]
(12 Year Search Of Knowledge And Experience )
Motivational Speaker | Leadership Consultant| Career Advisor |Business Advisory | Proprietor | Business Owner | Educational Trainer | Employee Trainer | Event Planners |
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